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हरिहरपुरी के सोरठे




हरिहरपुरी के सोरठे


अनुशासन को रक्ष, सदा संयम से रहना।

बातें हों सब स्वच्छ, रहे न दिल में कुछ कपट।।


मत करना स्वीकार, कभी दूषित जन -मन को।

दो उनको धिक्कार, जिन्हें शिष्टों से नफरत।।


करो सदा इंसाफ, न्याय का डंका पीटो।

कर दो उनको माफ, अगर इरादा ग़लत नहिं।।


रखना उनको पास, जो सच्चा पावन मनुज।

करो उन्हीं से आस, मददगार इंसान जो।।


नहीं बनाओ मीत, जिनकी घटिया सोच है।

बनो सुखद संगीत, गीत की झड़ी लगाओ।।



जिनका मृदुल स्वभाव, वही हैं सुंदर मानव।

रहता नहीं अभाव, भाव में यदि है शुचिता।।


तोड़ झूठ संवाद, अगर निरर्थक है सदा।

करना नहीं विवाद,मूर्ख से बच कर रहना।।


जो करता है त्याग, वही सुख का अधिकारी।

जहाँ भोग अनुराग,वहीं दुख सरिता बहती।।





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1 Comments

अदिति झा

12-Jan-2023 04:29 PM

Nice 👍🏼

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